न्याय
ऐसे कैसे पैसे से बिक कर बस हो जाता न्याय मासूमों को कुचल किनारे थक कर फिर सो जाता न्याय रूपये भर की रिश्वत पर तीस साल तक केस चले जेलों की कोठरियों में जाकर फिर खो जाता न्याय तगड़े तगड़े पैसे वाले तगड़े उनके पैरोकार हार मानकर हामी भरता इनके घर जो जाता न्याय अरबों खरबों लूट गए देखो फिर भी छूट गए रामम नामम सत्यम फिर ऐसे ही हो जाता न्याय ईंट ईंट का बना घरौंदा तिनका तिनका छत बनी बुलडोजर से बिखर जाए तो हो बेघर रो जाता न्याय पेट किसी का फाड़ दिया लूटी अस्मत मार दिया अब सुधरेगा कम आयु है बच्चा तब हो जाता न्याय धनवानों की रक्षा करता उनका अपना प्यारा श्वान हाथ गरीबों के तोते सा उड़ जाता खो जाता न्याय। प्रकाश पाखी।